पशु चिकित्सक के बलात्कार और हत्या के मामले में गुस्से में है, पूरा देश
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
हैदराबाद में पशु चिकित्सक के बलात्कार और हत्या के मामले में पूरा देश उबल रहा है। वहीं इस मामले के आरोपी चार लोगों की पुलिस मुठभेड़ में मौत को लेकर मीडिया रिपोर्टों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक एनएचआरसी ने मामले के तथ्यों पर गौर किया है और अपनी टीम को मौके पर जाकर जांच के आदेश दिए गए हैं। बयान में मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से सामने आए तथ्यों पर प्रकाश डाला गया है और इस बात पर चिंता व्यक्त की गई है कि इस मामले की बहुत सावधानी से जांच की आवश्यकता है। रिपोर्टों के अनुसार सभी चार अभियुक्तों को हैदराबाद से 60 किलोमीटर के आसपास अपराध की तस्वीर को फिर से बनाने के लिए ले जाया गया था। कथित तौर पर पुलिस के अनुसार उनमें से एक ने संभवतः बचने के लिए दूसरों को संकेत दिया और उन्होंने पुलिस कर्मियों से हथियार छीनने की कोशिश की जब पुलिस ने उन पर गोलीबारी की और क्रॉस फायरिंग में कथित तौर पर उनकी मौत हो गई। एनएचआरसी ने महानिदेशक को कहा है कि एसएसपी के नेतृत्व में एक टीम तुरंत मौके के लिए रवाना हो, तथ्यों का पता लगाए और जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपे। आगे बताया गया कि देश भर में महिलाओं पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामलों का संज्ञान लेने के बाद एनएचआरसी ने सभी राज्य सरकारों, पुलिस प्रमुखों और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। एनएचआरसी ने यह भी उल्लेख किया कि यद्यपि अभियुक्त को जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था। कानून की एक अदालत ने अभी तक एक निर्णय पारित नहीं किया है। यदि सक्षम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार वो दोषी पाए जाते तो उन्हें कानून के अनुसार दंडित किया जाना था। यह व्यक्त करते हुए कि पुलिस कर्मियों के साथ कथित मुठभेड़ में चार व्यक्तियों की मौत जब वे उनकी हिरासत में थे, बहुत चिंता का विषय है। आयोग ने यह भी कहा कि जिस तरह से मुठभेड़ हुई वह इंगित करती है कि पुलिस अधिकारी सतर्क नहीं थे और आरोपियों द्वारा किसी भी अप्रिय गतिविधि के लिए तैयार नहीं है। महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के बारे में सार्वजनिक आक्रोश को देखते हुए आयोग ने भय और गुस्से के माहौल को स्वीकार किया, लेकिन आगाह किया कि कानून के तहत पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के मानव जीवन की हानि, ऐसी परिस्थितियों में, निश्चित रूप से समाज के लिए एक गलत संदेश देगा। भारत के संविधान का उल्लेख करते हुए आयोग ने जीवन और समानता के अधिकार का आह्वान किया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से आग्रह किया कि वे अपनी हिरासत में व्यक्तियों के साथ मानव अधिकारों को ध्यान में रखें। आयोग ने पहले ही अपना विचार व्यक्त किया है कि पुलिस अधिकारियों में अफरातफरी की स्थिति का तुरंत जवाब देने के लिए् मानक संचालन प्रक्रिया का अभाव है। आयोग ने सभी कानून लागू करने वाली एजेंसियों से अनुरोध किया है कि उनके द्वारा गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों या उनकी हिरासत में रखे जाने के दौरान उनसे व्यवहार करते समय मानवाधिकारों के कोण को अपने विचार में रखें। कानून के समक्ष जीवन और समानता का अधिकार भारत के संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त और प्रदत्त मूल मानवाधिकार हैं।