सुप्रीम कोर्ट का पॉल्यूशन को लेकर अहम फैसला
मौहम्मद इल्यास-’दनकौरी’/कानून रिव्यू
नई दिल्ली
भारत में अब नए ईधन से वाहनों के चलने की शुरूआत होने जा रही है। इससे प्रदूषण भी कम होगा और कई और फायदें भी होंगे। सुप्रीम कोर्ट कहा है कि 1 अप्रैल 2020 से भारत में बीएस-6 वाहन ही बेचे जाएंगे। बीएस-6 वाहनों के निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की तीन महीने की मियाद की अर्जी भी ठुकरा दी है। दरअसल केंद्र सरकार ने कहा है कि 1 अप्रैल 2020 से भारत भर में बीएस-6 ईंधन उपलब्ध होगा। केंद्र ने आग्रह किया है कि बीएस-6 वाहनों के उत्पादन की डेडलाइन 1 अप्रैल 2020 से तीन महीने बढ़ा दी जाए ताकि पुराने वाहनों को बेचा जा सके। हालांकि इपका ने इसका विरोध किया था। गौरतलब है कि पिछले दिनों यह खबर भी आई थी कि इमीशन स्टैंडर्ड भारत स्टेज.4,बीएस.-4 के अनुरूप एक अप्रैलए 2020 से पहले निर्मित मोटर वाहनों का 30 जून 2020 के बाद रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। पुरानी प्रौद्योगिकी वाले वाहनों के उत्सर्जन को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने बीएस-.4 मानक वाले वाहनों के पंजीकरण की समय सीमा 30 जून 2020 तय की थी। सरकार ने पहले ही भारत मानक.-6 के अनुरूप स्वच्छ परिवहन ईंधन अनुपालन पूरे देश में अप्रैल 2020 व दिल्ली में अप्रैल 2018 तक लागू करने के आदेश दिए हैं। इसके लिए केंद्रीय मोटर वाहन संशोधन नियम 2017 के तहत अधिसूचना में सुझाव व अपत्तियां मांगी गई हैं।
बीएस-6 के बाद हो सकता है सफर मंहगा
बीएस का मतलब है भारत स्टेज यानी इंजन के स्टैंडर्ड से है। पॉल्यूशन के बढते हुए खतरे हुए देखते हुए बीएस-4 और फिर बीएस-6 अपनाया जाना है। बीएस-6 शुरू हो जाने से पेट्रोल और डीजल में होने वाले बदलाव से इनकी कैमिकल प्रॉपर्टी में भी बदलाव आएगा। ऐसे में बीएस-4 के बीएस-6 हो जाने पर पेट्रोल पर नहीं बल्कि डीजल पर ज्यादा असर होगा। नए डीजल में सल्फर की मात्रा कम होगी जो पहले बिकने वाले डीजल में 500 पीपीएम -पार्ट्स प्रति मिलियन- था। फिलहाल बिक रहे डीजल में सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम और बीएस-6 डीजल में इसकी मात्रा महज़ 10 पीपीएम रह जाएगी। इससे साफ तौर पर पर्यावरण में कम प्रदूषण फैलेगा। इसके साथ ही इंजन भी आसानी से चलेगा जिससे इसे लंबे समय तक ज्यादा नुकसान नहीं होगा। अपडेटेड इलैक्ट्रॉनिक्स और हार्डवेयर के साथ कोई भी बीएस-6 कार बीएस-6 इंर्धन डालकर चलाई जा सकती है।. इन कारों के एग्ज़्हॉस्ट सिस्टम में अलग से कई पार्ट लगे होते हैं। ऐसी कारों में ज्यादा मात्रा में सल्फर युक्त इंधन डालने से कार के इंजन पर बुरा असर पड़ेगा। इंजन साधारण गति में चलने की जगह ज्यादा तेज़ चलेगा। इससे कार की इंजन की उम्र कम हो जाती है साथ ही कार की फ्यूल इकोनॉमी भी बिगड़ जाती है जिससे कार के माइलेज पर फर्क पड़ता है। बीएस-6 कार में बीएस-4 इंधन इस्तेमाल से तो और भी ज्यादा बुरा प्रभाव इंजन पर पड़ता है।