नए संशोधित कानून 195ए में गवाह या वादी को धमकाने वाले लोगों के खिलाफ सीधे एफआईआर दर्ज किए जाने का प्रावधान है। साथ ही सजा का निर्धारण भी 3 से 7 साल तक हो सकता है। इसी तरह का जिले में पहला मामला एक रेप केस में आ चुका है जब युवती के पिता को धमकाने की कोशिश मुलजिम के पिता द्वारा की गई। पुलिस ने इस कानून के तहत एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही की।
कानून रिव्यू/ग्रेटर नोएडा
—————————-गवाहों या फिर मुद्दई वादों को धमकाना अब महंगा पड जाएगा। अमूमन देखा जाता था कि दबंग अथवा प्रभावशाली लोग मुकदमें के गवाहों अथवा मुद्दई को डरा धमका लिया करते थे। इससे अदालत में या तो गवाह हाजिर ही नही होते थे और यदि हाजिर भी हो जाते थे तो बयान बदल दिया करते थे। कई बार डर व धमकी की वजह से मुद्दई यानी रिपोर्ट लिखने वाले वादी मुकदमें में मुलजिम के प्रतिकूल साक्ष्य देने के लिए विवश हो जाया करते थे। किंतु अब ऐसा नही होगा क्योंकि वर्ष 2006 कानून में किया संशोधन 195ए अब इस तरह के लोगों पर शिकंजा कसेगा। नए संशोधित कानून 195ए में गवाह या वादी को धमकाने वाले लोगों के खिलाफ सीधे एफआईआर दर्ज किए जाने का प्रावधान है। साथ ही सजा का निर्धारण भी 3 से 7 साल तक हो सकता है। इसी तरह का जिले में पहला मामला एक रेप केस में आ चुका है जब युवती के पिता को धमकाने की कोशिश मुलजिम के पिता द्वारा की गई। पुलिस ने इस कानून के तहत एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही की। एसपीओ ललित मुद्दगल ने बताया कि वर्ष 2006 में संशोधित 195ए के तहत यदि कोई मुलजिम अथवा उससे जुडा कोई भी व्यक्ति गवाह व वादी को इस बात के लिए धमकाता है कि वह उसके खिलाफ गवाही न दें अथवा प्रतिकूल साक्ष्य दे, तो फौरन पुलिस को यह पावर है कि उसके खिलाफ 195ए के तहत एफआईआर दर्ज कर कोर्ट में पेश करें। तब कोर्ट यह देखेगा कि किस वातावरण में गवाह अथवा वादी को धमकाया गया है, उसी प्रकृति के अनुसार सजा का निर्धारण किया जाता है। इस कानून के तहत धमकाने वाले मुलजिम को 3 से 7 साल तक भी सजा हो सकती है। उन्होंने बताया कि इस नए कानून के तहत सतपाल नामक व्यक्ति के खिलाफ पुलिस द्वारा कार्यवाही की गई थी। सतपाल रेप केस के मुलजिम का पिता रहा है। यह रेप केस थाना फेस थर्ड का था। सतपाल ने रेप केस पीडिता और उसके पिता को प्रतिकूल साक्ष्य देने के लिए धमकाया। पुलिस ने जब सतपाल को कोर्ट में पेश किया तो उसे जेल भेज दिया गया।