दिवालिया कानून इन्सॉल्वंसी एंड बैंकरप्ट्सी कोड का असर
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
———————————–नीरव मोदी, विजय माल्या जैसे भगोडों पर बकाए के लिए सरकार की ओर से छापे मारे गए और वहीं जान बूझ कर बैंक लोन न चुकाने वाल कंपनियों को अब दिन में ही तारे नजर आने लगे हैं। यही कारण है कि कहीं कंपनी ही हाथ से न चली जाए 2100 कंपनियों ने सरकार का रूपया चुकाया है। बैंकों का लोन जान.बूझकर नहीं चुकानेवाले कंपनियों के प्रमोटरों ने अपनी.अपनी कंपनी खोने के डर से 83,000 करोड़ रुपये का बकाया चुका दिय है। कंपनी मामलों के मंत्रालय की ओर से जुटाए आंकड़े बताते हैं कि 2100 से ज्यादा कंपनियों ने बैंकों का लोन वापस कर दिया है। इनमें ज्यादातर ने आईबीसी में संशोधन के बाद बैंकों का बकाया चुकाया गया है।सरकार ने आईबीसी में संशोधन करके उन कंपनियों के प्रमोटरों को नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल की ओर से कार्रवाई शुरू हो जाने के बाद नीलाम हो रही किसी कंपनी के लिए बोली लगाने पर रोक लगा दी गई जिसे दिया गया लोन बैंकों को नॉन.परफॉर्मिंग ऐसेट्स एनपीए घोषित करनी पड़ी। ध्यान रहे कि जब लोन की ईएमआई 90 दिनों तक रुक जाए तो उसे एनपीए घोषित कर दिया जाता है। आईबीसी में संशोधन का उद्योग जगत ने कड़ा विरोध किया क्योंकि एस्सर ग्रुप के रुइया भूषण ग्रुप के सिंघल और जयप्रकाश ग्रुप के गौड़ जैसे नामी.गिरामी औद्योगिक घरानों को रेजॉलुशन प्रोसेस में भाग लेने से रोक दिया गया। एक आशंका यह भी थी कि बड़े पैमाने पर कंपनियों अयोग्य घोषित कर दिए जाने के कारण नीलाम हो रही कंपनियों के लिए बड़ी बोलियां नहीं लग पाएंगी, जिससे बैंकों को अपने लोन का छोटा हिस्सा ही वापस मिल सकेगा। इसके जवाब में सरकार ने कहा कि प्रमोटरों को बैंकों को चूना लगाकर अपनी ही कंपनी औने.पौने दाम में वापस पाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकिए सरकार ने बैंकों का बकाया चुकानेवाले प्रमोटरों को बोली लगाने की अनुमति जरूर दे दी। एक सूत्र ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि लोन डिफॉल्टर्स पर वास्विक दबाव बकाया वापस करने का है। आईबीसी की वजह से कर्ज लेने और देने की संस्कृति बदल रही है।