डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष राजकुमार नागर एडवोकेट की कानून रिव्यू से खास बातचीत
क्या है गौतमबुद्धनगर कलेक्ट्रेट बैंचः.
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/कानून रिव्यू
गौतमबुद्धनगर कलेक्ट्रेट में बैठने वाले वकीलों के कल्याण और अधिकारों की रक्षा के लिए डिस्ट्कि्ट बार एसोसिएशन काम करती है। जिला मुख्यालय में मुख्य रूप से सीओ, एसओसी, डीडीसी, डीएम, एडीएम और एसडीएम की बैंच हैं। इन अदालतों में जमीन से जुडे मुकदमों की सुनवाई होती है। जमीन के अलावा डीएम गुंडा एक्ट और समाज के लिए खतरा बनने वाले अपराधियों के खिलाफ जिला बदर की कार्यवाही करते हैं। वहीं एसडीएम को शांति भंग और विवाद पैदा होने की आंशका की धाराओं में जमानत देने की पावर थी, मगर यहां पर पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद यह पावर पुलिस कमिश्नर के पास चली गई। वहीं इन बैंचों के अलावा कलेक्ट्रेट में आबाकारी, खनन, मनोरंजन और स्टांप के मामलों की सुनवाई भी यहां होती हैं। इन मामलों के अधिकारियों के कार्यालय में भी डीएम कार्यालय परिसर के अंदर स्थित है।
डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन का परिचयः.
गौतमबुद्धनगर जिले के गठन के होने के साथ ही यहां की डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन बनी, बार में अधिवक्ता, सदस्य के रूप में अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। इस वर्ष 29 सितंबर-2020 को राजकुमार नागर पुनः निर्विरोध बार अध्यक्ष चुन लिया गया। सरल स्वभाव के मृदुभाषी अधिवक्ता राजकुमार नागर पहले भी बार अध्यक्ष रह चुके हैं। पूर्व में 27 अप्रैल 2017 को कार्यकारणी के चुनाव में राजकुमार नागर एडवोकेट को निर्विरोध रूप से चुन लिया गया था। इस प्रकार डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन कलेक्ट्रेट सूरजपुर में राजकुमार नागर एडवोकेट ही एक ऐसे बार अध्यक्ष हैं जो दो बार चुने गए और दोनों बार ही उनका चयन आमसहमति से हुआ है। दूसरी बार निर्विरोध तरीके से बार अध्यक्ष पद पर आसीन होने का इतिहास रचने वाले राजकुमार नागर की कार्यकारणी में इस बार उपाध्यक्ष पद राकेश शर्मा, सचिव पद पर सतवीर सिंह, सहसचिव पद पर भीम सिंह और कोषाध्यक्ष पद के लिए चंद्रपाल शर्मा एडवोकेट को भी निर्विरोध चुना गया है। कोषाध्यक्ष पद की बात की जाए तो वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रपाल शर्मा पहले भी कई बार लंबे समय तक कोषाध्यक्ष पद को सुशोभित कर चुके हैं। कानून रिव्यू ने बार अध्यक्ष राजकुमार नागर एडवोकेट से अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए किए जा रहे कार्यो और बार और बैंच के बीच में बेहतर ताल मेल आदि कई मुद्दों को लेकर बातचीत की हैं आइए जानते हैं बातचीत के प्रमख अंशः.
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नामः-.राजकुमार नागर एडवोकेट
मूल स्थानः.- गांव इमलियका. दनकौर
जन्म तिथिः.- 02.01.1977
शैक्षिक योग्यताः-. एमकॉम, एलएलबी. एमएमएच कॉलेज गाजियाबाद
वर्तमान पदः-. अध्यक्ष. डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन कलेक्ट्रेट, सूरजपुर जिलाः-गौतमबुद्धनगर
पूर्व में पदः-. बार उपाध्यक्ष डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन कलेक्ट्रेट, सूरजपुर जिलाः-गौतमबुद्धनगर ( वर्ष 2007 )
बार अध्यक्ष- डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन कलेक्ट्रेट, सूरजपुर जिलाः-गौतमबुद्धनगर ( वर्ष 2017-18 )
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भूमि संबंधी मुकदमें किस एक्ट में हो होते हैं?
…. भूमि संबंधी मुकदमें जमीदारी विनाश अधिनियम एवं भूमि सुधार अधिनियम में लडे जाते हैं जिसमें रकबा पूर्ण कराना, आपसी बंटवारा और अवैध कब्जे से जुडे मामले होते हैं। पहले इस कानून को यूपीजेड एंड एलआर नाम से जाना जाता था जिसे अब यूपीआरसी यानी उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के नाम से जाना जाता है।
भूमि अधिग्रहण के मामलों को किस अदालत में सुना जाता है और अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया क्या है?
…..भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही डीएम के द्वारा होती है जिसके बाद संबंधित जमीन मालिक को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है और फिर भूमि का अधिग्रहण कर मुआवजा वितरित करने की प्रक्रिया शुरू होती है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में धारा.6,9,11,17,19 और 18 कानूनी स्टेज से गुजरना पडता है। भूमि अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया डीएम के निर्देशन में एडीएम भूमि अध्याप्ति करते हैं जब कि मुकदमों की सुनवाई जिला अदालत में होती है।
जिले में चकबंदी की प्रक्रिया पूरी हो गई है फिर भी पीडित किसान चक्कर काटते हुए देखे जाते हैं?
……. चकबंदी जिले में हो चुकी है हाईकोर्ट से जो प्रत्यावर्तित होकर मामले आते हैं। डीडीसी इन मामलों को क्रमशः एसओसी और सीओ चकबंदी को भेज देते हैं।
मुकदमों का बोझ बना रहता है निस्तारण की दर क्या है?
…..कोरोनाकाल की वजह से मुकदमे लंबित हैं मगर धीरे धीरे सब कुछ पटरी पर आता जा रहा है।.एडीएम. ( जे ) का पद जब से सृजित हुआ है हर रोज सुनवाई होती है। जिले में डीएम के कामों को देखने के लिए कई एडीएम होते हैं इस बार सरकार ने मुकदमों की सुनवाई के लिए ही अलग से पद बना दिया है जिसे एडीएम.( जे ) के नाम से जाना जाता है। एडीएम. ( जे ) पर सिर्फ मुकदमों की सुनवाई का ही काम होता है और नियुक्त हुए एडीएम.( जे ) हर रोज मुकदमों की सुनवाई करते हैं जिससे निस्तारण की दर में खासी तेजी आई है। शासन का आदेश है कि 4 वर्ष से अधिक मुकदमें लंबित नही रहने चाहिए।
न्यायिक एडीएम के पद की कानून में व्यवस्था है?
……बिल्कुल, यूपीआरसी में यह व्यवस्था है कि पीठासीन यानी न्यायिक अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारियों से अलग हो जिनका काम ही सिर्फ मुकदमों की सुनवाई करना होता है। इस व्यवस्था में एडीएम.( जे ) की तरह ही एसडीएम. ( जे ) की भी नियुक्ति जनपद में होनी चाहिए और इसके लिए सरकार को पत्र लिखा जाएगा।
जिले के तलाबों और सरकारी जमीनों पर कब्जे हटाने के मामलों की सुनवाई कहां पर होती है?
……. तालाबों और सरकारी जमीनों पर कब्जा अक्सर भूमाफिया करते रहते हैं इसकी शिकायत कोई भी व्यक्ति और कभी भी डीएम से कर सकता है डीएम उस पर तत्काल कार्यवाही करते हैं। इस नई सरकार में तालाबों और सरकारी जमीनों से अवैध कब्जे हटाने के लिए टॉस्क फोर्स का गठन किया जा चुका है और साथ ही भूमाफियाओं की सूची भी बनाई जा चुकी है।
जमीनों के अलावा और किन मुकदमों की सुनवाई कलेक्ट्रेट बैंच में होती है?
……..कलेक्ट्रेट में एआईजी स्टांप, मनोरंजन कर अधिकारी, खाद्य अधिकारी, आबकारी अधिकारियों के कार्यालय हैं जहां उक्त अधिनियमों के मामले आते हैं। इसके अलावा शस्त्र अधिनियम के मामले भी आते हैं जिनका निस्तारण संबंधित अधिकारियों के द्वारा किया जाता है।
बार और बैंच के बीच बेहतर ताल मेल है क्या?
…….हां, अब बार और बैंच के बीच अच्छा ताल मेल है पूर्व में कुछ भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों की वजह से बार को थोडी दिक्कतों का सामना करना पडा था, बार की शिकायत पर सरकार ने उन सभी भ्रष्ट अधिकारियों को यहां से हटा दिया है और अब यहां सकरात्मक सोच के अधिकारी तैनात है।
बार के अंदर गुटबाजी तो नही है अब?
……बिल्कुल नही, बार में अब सौहार्दपूर्ण वातावरण है। यही कारण है कि समूची बार ने उन पर दूसरी बार विश्वास जताया है और जिससे वह निर्विरोध तरीके से चुन लिए गए हैं। इसलिए वह अधिवक्ता बंधुओं के सम्मान और कल्याण के लिए हमेशा तत्पर हैं।
मुख्य प्राथमिकता क्या है?
…….बार की लाइब्रेरी में किताबों को और ज्यादा बढवाया जाएगा, साथ ही चैंबेरों का निमार्ण भी प्राथमिकता है। तत्कालीन डीएम एमकेएस सुंदरम के कार्यकाल में चैंबरों के निमार्ण के लिए 92 लाख रूपये स्वीकृत हुए थे जिनमें से सिर्फ 50 लाख रुपये ही आवंटित हो पाए और जिससे कुल 25 चैंबरों का निमार्ण हो सका था जब कि अधिवक्ता साथियों की संख्या अब तक 59 पहुंची है और एक चैंबर में दो. दो अधिवक्ता बैठने के लिए मजबूर है। शासन को बाकी 42 लाख रुपये भेजने के लिए पत्र लिखा जाएगा ताकि बचे हुए चैंबरों को निमार्ण कराया जा सके।
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इधर उधर बिखरे कार्यालय कलेक्ट्रेट में आने चाहिए
………………………………………………………………………..डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के सचिव सतवीर सिंह और कोषाध्यक्ष चंद्रपाल शर्मा एडवोकेट ने कानून रिव्यू को बताया कि जिला मुख्यालय सूरजपुर में स्थित है जब कि कई ऐसे अधिकारी है जिनके कार्यालय नोएडा या फिर कलेक्ट्रेट से काफी दूर हैं। एडीएम भूमि अध्याप्ति का कार्यालय 5 किमी दूर सेक्टर बीटा वन में है जंहा डीएम का कोई अंकुश नही होता है और किसानों से जमकर लूट खसोट अलग की जाती है। यह कार्यालय कलेक्ट्रेट में पूर्णकालिक होना चाहिए। इसी प्रकार सदर तहसील करीब 15 किमी दूर ग्राम डाढा में बनी हुई है जहां के लिए न कोई सीधा रास्ता है और न ही आज तक वहां के लिए परिवहन कोई व्यवस्था है, वकीलों और जरूरतमंदों को वहां जाने के लिए समय और धन दोनों बर्बाद करने पडते हैं। इसके अलावा आईजी और एआईजी स्टांप के कार्यालय नोएडा में किराए की बिल्डिंगों में चल रहे हैं जिन्हें कलेक्ट्रेट में स्थापित किया जाना चाहिए क्योंकि इन कार्यालयों के लिए यहां पर्याप्त स्थान उपलब्ध है।