
रोजनामचे की कॉपी नहीं मिलने पर अपीलार्थी को अपनी गिरफ्तारी का भय था, सुनवाई के बाद तत्काल मिली काॅपी


कानून रिव्यू/राजस्थान
राज्य सूचना आयोग में पहली बार 48 घंटे के अंदर फैसला हुआ है। वाट्स अप के जरिए हुई सुनवाई में राज्य सूचना आयोग ने तत्काल नोटिस जारी किए। वहीं आयोग का नोटिस मिलने के बाद अपीलार्थी को चाही गई सूचना भी उपलब्ध करवा दी गई है। यह मामला जयपुर में राजस्थान राज्य सूचना आयोग का है। जयपुर कोरोना काल में राज्य सूचना आयोग ने वाट्सएप के जरिए मामले की सुनवाई कर परिवादी को न्याय दिया है। मामला जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ा था और ऐसे मामलों में 48 घंटे के अंदर आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना उपलब्ध करवाने का प्रावधान है। गौरतलब है कि बाड़मेर निवासी निवासी भगवान सिंह ने रामसर थाने से अपने खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर और रोजनामचा की कॉपी मांगी थी। थाने ने एफआईआर की कॉपी उपलब्ध करवा दी लेकिन बॉर्डर एरिया का थाने का हवाला देते हुए सुरक्षा कारणों से रोजनामचे की कॉपी देने से मना कर दिया। मामले पर एसपी कार्यालय में की गई प्रथम अपील पर भी सुनवाई नहीं हुई, जिसके बाद भगवान सिंह ने सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर की। वाट्सएप पर मिली इस अपील पर मुख्य सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा की कोर्ट द्वारा तुरन्त वाट्सएप के जरिए ही नोटिस जारी किए गए। आयोग का नोटिस मिलने के बाद अपीलार्थी को चाही गई सूचना उपलब्ध करवा दी गई। मंगलवार को वाट्सएप के जरिए हुई सुनवाई में अपीलार्थी ने सूचना मिलने पर संतोष जताया। जयपुर में राजस्थान सूचना आयोग के इतिहास में यह पहली बार है कि जब आयोग में अपील मिलने के बाद 48 घंटे के अंदर फैसला और आदेश हुआ हो। कोरोना के चलते आयोग में अभी सामान्य मामलों की सुनवाई बंद है लेकिन जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ा मामला होने के चलते इस प्रकरण को वाट्सएप के जरिए सुना गया। रोजनामचे की कॉपी नहीं मिलने पर अपीलार्थी को अपनी गिरफ्तारी का भय था। मुख्य सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा के मुताबिक सूचना का अधिकार अधिनियम में इस तरह का प्रावधान किया गया है कि जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में 48 घण्टे के अंदर मांगी गई सूचना उपलब्ध करवाई जानी चाहिए जबकि सामान्य मामलों में एक महीने के अंदर सूचना उपलब्ध करवाए जाने का प्रावधान है। आयोग में जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े गिने.चुने मामले ही आते हैं।