गौतमबुद्धनगर और लखनऊ में पुलिस कमिश्नर अब लोगों को दे सकेंगे छह महीने के लिए गनर
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ लखनऊ
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर और लखनऊ में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुए पूरे 6 माह हो चुके हैं। यह पुलिस कश्निर प्रणाली इन दो शहरों में पुलिस की कार्यशैली को परखने के लिए 6 माह के लिए लागू हुई थी। यूपी सरकार ने उस वक्त कहा था कि यदि इन दो शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लोगों की अपेक्षाओं पर खरी उतरती है तो फिर राज्य के दूसरे शहरों जैसे कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी आदि में शुरू किया जाएगा। यदि गौतमबुद्धनगर और लखनऊ की पुलिस कमिश्नर प्रणाली सटीक नही बैठती है तो इसे भंग कर फिर एसएसपी सिस्टम लागू किया जाएगा। 6 महीने पूरे होते ही इतने राज्य सरकार इस पुलिस कमिश्नर प्रणाली की समीक्षा करती, इसे भंग किए जाने के अफवाहों का दौर शुरू हो गया। गौतमबुद्धनगर में भी ऐसे लोगों की कमी नही जो पुलिस की किरकिरी बने रहे उन्होंने भी इसे खूब हवा दी। सत्ता पक्ष से जुडे नोएडा के स्थानीय नेताओं ने कैबिनेट मंत्री सतीश महाना के खूब कान भरे। मगर यह मामला सीएम के दरबार से जो जुडा था। सीएम पहले ही गुंडाराज के खात्मे के लिए इस पुलिस कमिश्नर प्रणाली के हिमायती रहे हैं। हालांकि यूपी में यह पुलिस कमिश्नर प्रणाली की मांग कई दशकों से की जा रही थी। मगर कोई भी सीएम यहां पर पुलिस कमिश्नर प्रणाली किए जाने की हिम्मत नही जुटा पा रहा था। अतीत पर पर गौर करें तो पूर्व में एक सीएम ने पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने की हिम्मत जुटाने की कोशिश की मगर चंद घंटों में आईएस लॉबी के दवाब में फैसला लेना वापस लेना पड गया था। किंतु यहां पर सीएम योगी ने अपने मजबूत इरादों को परिचय देते हुए मध्य जनवरी-2020 में राज्य के गौतमबुद्धनगर और लखनऊ में पुलिस कमिश्नर प्रणाली का लागू कर ही दिया। इस पुलिस कमिश्नर प्रणाली के विरोध में जो मुहिम शुरू हुई कमजोर पड गई। मगर अब राज्य सरकार के द्वारा 6 माह बाद पुलिस कमिश्नर प्रणाली की समीक्षा की जानी थी तो इन लोगों ने अफवाहों के बाजार को खूब गर्म किया। मगर यह क्या? इन शहरों की पुलिस कमिश्नर प्रणाली का खात्मा तो नही हुआ और उल्टा पुलिस कमिश्नर को पावर प्रदान कर दी गई। यूपी सरकार ने अब पुलिस कमिश्नर को ही सुरक्षा समिति का अध्यक्ष बना डाला। जिले की सुरक्षा समिति के हाथ में ही लोगों को पुलिस गनर, शैडो और गार्द दिए जाने का अधिकार होता है। इसके लिए सीएम योगी की अध्यक्षता में लखनऊ मे बुधवार की देर शाम को कैबिनेट की एक बैठक संपन्न हुई और जिसमें कमेटी गठित कर उसे मंजूरी दे दी गई। नए प्रावधान के अनुसार इस सुरक्षा समिति के अध्यक्ष गौतमबुद्धनगर व लखनऊ में तैनात पुलिस कमिश्नर होंगे। साथ ही डीएम भी इसके सदस्य होंगे या फिर अपने स्थान पर किसी एडीएम को नामित कर सकेंगे। उन्हें पहले दो-दो महीने के लिए सुरक्षा देने का अधिकार होगा। बाद में इसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकेगा। गौतमबुद्धनगर व लखनऊ में पुलिस कमिश्नर प्रणाली की स्थापना होने से पहले इन जिलों में डीएम व एसएसपी के नेतृत्व में बनी सुरक्षा समिति फैसला लेती थी। कैबिनेट प्रस्ताव के मुताबिक, यह समिति आवेदक को पहले दो-दो महीने के लिए सुरक्षा देगी। फिर आवेदक के जीवन भय के अनुसार दो-दो माह के लिए दो बार सुरक्षा बढ़ाई जा सकेगी। पुलिस कमिश्नर की समिति को सुरक्षा कर्मियों की संख्या, सुरक्षा देने की अवधि के साथ ही सुरक्षा के व्ययभार के बारे में स्पष्ट करना होगा। साथ ही कमेटी छह महीने के लिए भी सुरक्षा देने की संस्तुति शासन से कर सकेगी। यहां जरूरी होगा कि पुलिस जिस जीवन भय के कारण सुरक्षा दे रही है, उस भय को खत्म करने के लिए भी गंभीर प्रयास करेगी। छह महीने की सुरक्षा अवधि खत्म होने के 15 दिन पहले पुलिस कमिश्नर की समिति को संस्तुति शासन को भेजनी होगी।