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8 राज्य केंद्र के तीन तलाक पर ड्राफ्ट बिल को लेकर सहमत

15.12.2017 By Editor

सुप्रीम कोर्ट के अगस्त के फैसले के बाद देश भर से तीन तलाक देने के 67 मामलों की रिपोर्ट मिली है। इनमें से अधिकतर मामले उत्तर प्रदेश के हैं। हालांकि यह कानून बनने के बाद भी जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं होगा। कोर्ट के फैसले के बाद भी तीन तलाक की शिकायतें मिलने के मद्देनजर केंद्र ने इसका समाधान निकालने का उपाय सुझाने के लिए एक कमिटी बनाई थी।

मुस्लिम विमिंज प्रॉटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्टश् ड्राफ्ट बिल!

  • कानून रिव्यू/नई दिल्ली

——-तीन तलाक जैसे कुप्रथा को खत्म किए जाने को लेकर केंद्र कानून बनाने के लिए तैयार है। इसी शीतकालीन सत्र में तीन तलाक पर कानून पारित किया जाना तय है। इसके लिए केंद्र सरकार ने बिल का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। केंद्र ने बिल को सदन में लाने से पहले राज्यों से उनके सुझाव और सहमति मांगी है। इनमें देश के 8 राज्य ऐसे हैं जो बिल ड्राफ्ट के समर्थन में आगे आ गए हैं। 

लॉ मिनिस्ट्री ने लगभग एक पखवाड़े पहले जुबानी,लिखित या किसी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत देने पर प्रतिबंध लगाने और इसे एक दंडनीय और गैर.जमानती अपराध बनाने से जुड़े प्रस्तावित कानून पर सभी राज्य सरकारों से राय मांगी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सदियों से चली आ रही इस इस्लामिक प्रथा को अगस्त 2017 में मनमाना और असंवैधानिक करार दिया था। लेकिन इसके बावजूद तीन तलाक देने की रिपोर्ट आ रही हैं। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि मध्य प्रदेश,झारखंड और छह अन्य राज्यों ने ड्राफ्ट बिल पर सरकार का समर्थन किया है, जबकि अन्य राज्यों के जवाब का इंतजार किया जा रहा है।

ड्राफ्ट बिल की क्या है खासियत

——————————–ड्राफ्ट बिल में अपनी पत्नियों को तीन बार तलाक बोलकर तलाक देने की कोशिश करने वाले मुस्लिम पुरुषों को तीन वर्ष की कैद की सजा देने और पीड़ित महिलाओं को कोर्ट से गुहार लगाकर उचित मुआवजा और अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी मांगने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। आधिकारिक डेटा के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के अगस्त के फैसले के बाद देश भर से तीन तलाक देने के 67 मामलों की रिपोर्ट मिली है। इनमें से अधिकतर मामले उत्तर प्रदेश के हैं। हालांकि यह कानून बनने के बाद भी जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं होगा। कोर्ट के फैसले के बाद भी तीन तलाक की शिकायतें मिलने के मद्देनजर केंद्र ने इसका समाधान निकालने का उपाय सुझाने के लिए एक कमिटी बनाई थी। कमिटी में होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह,फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली, लॉ मिनिस्टर रवि शंकर प्रसाद, माइनॉरिटी अफेयर्स मिनिस्टर मुख्तार अब्बास नकवी और दो राज्यमंत्री शामिल हैं। इसके बाद ही मुस्लिम विमिंज प्रॉटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्टश् नाम का ड्राफ्ट बिल तैयार किया गया है।

 

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